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ऐतिहासिक >> अजेय अग्नि

अजेय अग्नि

तेजपाल सिंह धामा

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15916
आईएसबीएन :8188388661

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कथावस्तु संकेत

भूमिका

  • चित्तौड़ के दुर्ग की आत्मकथा
  • पालकी में बैठ दासी बनने आयी कर्मवती
  • चित्तौड़गढ़ के राणा सा ने बनायी पटराणी
  • कमदेवी ने महाराणी पृथा को बतायी मन की बात
  • कर्मदेवी को पुत्र रत्न की प्राप्ति
  • राणा समरसिंह को मिला रण निमंत्रण
  • समरसिंह ने मुहम्मद गौरी को चटायी धूल
  • गौरी का भारत पर फिर आक्रमण
  • गौरी को क्षमादान
  • दुनिया का सबसे बड़ा सिंहासन
  • फिर चले रण में समरसिंह
  • पृथ्वीराज चौहान की हार और समरसिंह का बलिदान
  • पृथा हुई समरसिंह के साथ सती
  • कर्णसिंह बने चित्तौड़ के नये राणा सा
  • बालक कुम्भकर्ण ने किया राजा बनने का हठ
  • कुम्भकर्ण हुए चित्तौड़ से लापता
  • कर्मदेवी ने शासनसूत्र स्वयं लिया हाथ में
  • किले की करवायी मरम्मत
  • कुतुबुद्दीन ने कर्णसिंह का बनाया बंदी
  • कर्मदेवी ने राणा सा को छुड़ाने की बनायी योजना
  • कुतुबुद्दीन को समरसिंह का घोड़ा शुश्रक किया भेंट
  • शुभ्रक ने कृतुबुद्दीन को पहुंचाया परलोक
  • कर्णसिंह को पीठ पर बैठा हवा में उड़ा शुभ्रक
  • कुम्भकर्ण व कर्णसिंह दोनों की चित्तौड़गढ़ में वापसी
  • कुम्भकर्ण ने सुनायी अपने राजा बनने की कथा
  • दिल्ली में रजिया बनीं सुलताना
  • अमीरों ने रजिया की सत्ता का किया विरोध
  • अल्तुनिया ने लिया रजिया का पक्ष
  • चित्तौड़गढ़ की सेना का दिल्ली पर धावा
  • राणा की जीत और रजिया ने बांधी राखी
  • रजिया और याकूत का प्रेम प्रसंग
  • कर्मवती ने चित्तौड़ दुर्ग को बनाया अजेय
  • रजिया ने हटाया जजिया
  • बलबन का बढ़ा प्रभाव
  • अल्तुनिया ने किया विद्रोह
  • रजिया ने अल्तुनिया से मिलाया हाथ
  • राणा कर्णसिंह की धोखे से हत्या
  • अल्तुनिया ने रजिया से पढ़ा जबरदस्ती निकाह
  • बहराम ने किया रजिया का तख्ता पलट
  • राणा के मुख्य अंगरक्षक नीलपत पर लगे आरोप
  • नीलपत को पंचायत ने पाया निर्दोष
  • म्लेंच्छ सेना बढ़ी चित्तौड़ की ओर
  • सुकर्णसिंह ने म्लेच्छों को दिया झांसा
  • भील और किसानों आदि को किया संगठित
  • कर्मवती ने म्लेच्छों को पहुँचाया परलोक
  • महाराणी सा ने जगायी देशभक्ति की अलख
  • रजिया व अल्तुनिया की हत्या
  • कर्मदेवी का सपना हुआ पूर्ण

परिशिष्ट :

  • उपसंहार : इस कथा की आवश्यकता
  • आधार ग्रंथ सूची
  • महत्वपूर्ण पारिभाषिक शब्द, विशिष्ट व्यक्तियों व स्थान आदि की सूची

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